गाजीपुर। जिला कारागार से शनिवार को दो बंदियों का फरार होना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी पांच बंदी जिला जेल से फरार हो चुके हैं। फरार एक बंदी चिरैयाकोट मऊ में मुठभेड़ में मार गिराया गया था। बार-बार बंदियों का फरार होना जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
जिला कारागार हमेशा से अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहा है। इससे पहले छह जुलाई 2007 को भुड़कुड़ा थाना क्षेत्र के मंझनपुर गांव निवासी भाजपा नेता सभाजीत सिंह की हत्या के आरोपी धीरज सिंह, उसका भाई आनंद तथा एक अन्य बंदी प्रमोद सिंह बांस की सीढ़ी से जेल की दीवार फांदकर फरार हो गए थे। बाद में पुलिस ने मऊ के चिरैयाकोट में धीरज सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया था। 19 अगस्त 2009 को एनडीपीएस एक्ट का बंदी कृष्णाराम फरार हो गया था, जिसे बाद में नंदगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बंदियों की फरारी का सिलसिला यहीं पर नहीं थमा। नौ अक्तूबर 2015 को जेल के बाहर सफाई करते समय चंदौली जिला के अलीनगर निवासी शाहरुख फरार हो गया था। कुल मिलाकर बार-बार जिला जेल से फरार होकर बंदी जेल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हुए जेल प्रशासन को चुनौती देने का काम कर रहे हैं। शनिवार की रात फिर से दो बंदियों ने फरार होकर जेल की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगा दिया।
जिला कारागार हमेशा से अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहा है। इससे पहले छह जुलाई 2007 को भुड़कुड़ा थाना क्षेत्र के मंझनपुर गांव निवासी भाजपा नेता सभाजीत सिंह की हत्या के आरोपी धीरज सिंह, उसका भाई आनंद तथा एक अन्य बंदी प्रमोद सिंह बांस की सीढ़ी से जेल की दीवार फांदकर फरार हो गए थे। बाद में पुलिस ने मऊ के चिरैयाकोट में धीरज सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया था। 19 अगस्त 2009 को एनडीपीएस एक्ट का बंदी कृष्णाराम फरार हो गया था, जिसे बाद में नंदगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बंदियों की फरारी का सिलसिला यहीं पर नहीं थमा। नौ अक्तूबर 2015 को जेल के बाहर सफाई करते समय चंदौली जिला के अलीनगर निवासी शाहरुख फरार हो गया था। कुल मिलाकर बार-बार जिला जेल से फरार होकर बंदी जेल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हुए जेल प्रशासन को चुनौती देने का काम कर रहे हैं। शनिवार की रात फिर से दो बंदियों ने फरार होकर जेल की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगा दिया।
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